आईवीएफ गर्भावस्था के बाद सुरक्षा एवं सावधानियां
- 22 Apr, 2022
- IVF and Infertility
- infertility
- Medically Reviewed By: Dr. Nishi Singh
- Author: Prime IVF Centre
दुनिया भर में कई वैवाहिक जोड़े ऐसे हैं जो शादी के काफी समय बाद तक भी माता-पिता नहीं बन पाए हैं। उनकी इस कमी को पूरा करने के लिए एक नई टेक्नोलॉजी आईवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, आज के दौर का सबसे पसंदीदा इलाज है।
आज से कुछ समय पहले यह इलाज असाधारण था और कुछ चुनिंदा लोग ही इसे अपनाते थे। लेकिन आज यह सबकी पहुंच में है। आज ज्यादातर ऐसे वैवाहिक जोड़े जो इस दुख से गुजर रहे हैं वह इस इलाज को अपनाते हैं।
आईवीएफ प्रक्रिया में महिलाओं को हार्मोन के इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे अंडाशय में अंडों की संख्या बढ़ाई जा सके। जब अंडे पर्याप्त रूप से बन जाते हैं तो एक आखिरी ट्रिगर इंजेक्शन देते हैं जिससे कि अंडे परिपक्व हो सके। फिर इन अंडों को एक सरल प्रक्रिया के द्वारा बाहर निकाल लिया जाता है। पुरुष के स्पर्म सैंपल को भी निषेचन के लिए तैयार किया जाता है और फिर इन्हें आईवीएफ प्रक्रिया के लिए अलग-अलग तकनीकों द्वारा मिलाया जाता है।
आईवीएफ प्रक्रिया का अधिक महंगा होना, अच्छे विशेषज्ञों की कमी होना, और अच्छे आईवीएफ केंद्रों के ना होने की वजह से ज्यादातर लोगों के लिए इस इलाज को अपनाना बहुत मुश्किल होता है। कुछ जोड़ों के लिए तो यह इलाज लेना और असुविधाजनक हो सकता है क्योंकि इसमें नियमित इंजेक्शन, अंडे निकालना, भ्रूण ट्रांसफर और दवाइयों का अधिक सेवन शामिल है। इसलिए इस आईवीएफ प्रक्रिया को अपनाने वाला हर एक विवाहित जोड़ा यह जानना चाहता है कि इसकी सफलता की संभावना कितनी है और इसकी सफलता की दर क्या है। चलिए जानते हैं कि इसकी सफलता किन-किन बातों पर निर्भर करती है।
Table of Contents
1. आईवीएफ गर्भावस्था सफलता दर
आईवीएफ की सफलता की दर कई बातों पर निर्भर करती है। ऐसे कारकों को दो अलग तरह से विभाजित कर सकते हैं: बीमारी से जुड़े हुए कारक और आईवीएफ केंद्र से जुड़े हुए कारक।
बीमारी से जुड़े कारक
महिला की बढ़ती उम्र के कारण उसके अंडाशय में अच्छे अंडो का बनना कम हो जाता है और आवेरियन रिज़र्व में गिरावट होने लगती है जिसके कारण आईवीएफ का इलाज बहुत प्रभावित होता है।
यदि महिला की फेलोपियन ट्यूब सही नहीं है, उसमें पानी या मवाद भरा है तो यह भ्रूण को इम्प्लान्टेशन से रोककर या आरोपण की जगह से हटाकर आईवीएफ की सफलता को प्रभावित कर सकती है।
एडेनोमायोसिस या फाइब्रॉएड जैसी गर्भाशय संबंधी बीमारियां हो तो वे भी आईवीएफ की सफलता पर प्रभाव डाल सकती हैं।
इन कारकों के अलावा कई अन्य कारक भी हैं जो इस प्रक्रिया की सफलता की दर को प्रभावित करते हैं जैसे संतानहीनता की लंबी अवधि, मरीज का उच्च बीएमआई, दवाओं को लेकर खराब रवैया होना, मरीजों की कोई अन्य मेडिकल स्थिति, आदि।
आईवीएफ केन्द्रों से जुड़े कारक
इस प्रक्रिया के लिए एक अच्छे अनुभवी एंब्रायोलोजिस्ट की जरूरत होती है। यदि एक एंब्रायोलोजिस्ट सही जांच और प्रक्रिया को पूरे ध्यान से करता है तो आईवीएफ की सफलता की गुंजाइश बढ़ जाती है।
आईवीएफ प्रक्रिया के लिए सही उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए, तापमान की अच्छी निगरानी रखी जाए और अगर आईवीएफ लैब और इनक्यूबेटर के साथ-साथ आवश्यक संक्रमण रोकने वाली सावधानी को भी अपनाया जाए तो एक अच्छे भ्रूण को बनाने में मदद मिलती है।
इस प्रक्रिया को सही ढंग से करने के लिए बेहतर अल्ट्रासोनोग्राफी मशीन, ब्लड जांच की सुविधा आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध होना जरूरी है ताकि एंब्रायोलोजिस्ट को भी उचित जांच और इस प्रक्रिया को सही ढंग से करने में मदद मिल सके।
2. आईवीएफ प्रक्रिया से पहले बरती जाने वाली सावधानियां
आईवीएफ दुनियाभर में काफी फेमस हो रहा है लेकिन आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने का फैसला एक्साइटिंग होने के साथ-साथ थोड़ी घबराहट देने वाला भी होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक तरफ तो आप अपने बच्चे का सपना पूरा करने के करीब है दूसरी तरफ आपको कुछ पता नहीं कि यह सफल होगा या नहीं। आईवीएफ का 100% सफल होना जरूरी नहीं है। यदि आप इस प्रक्रिया को कराने से पहले कुछ सावधानियां बरतें तो आप इस आईवीएफ से गर्भधारण करने की सफलता की दर को बढ़ा सकते हैं।
- आईवीएफ से जुड़ी जरूरी जानकारी जुटाएं - सबसे पहले एक अच्छे आईवीएफ केंद्र का चुनाव करें जिसकी सफलता दर अच्छी हो। भ्रूण ट्रांसफर करने के बाद गर्भधारण का रेशो क्या है जानें। आपकी उम्र के कपल और आपके जैसी फर्टिलिटी समस्याओं वाले कपल में गर्भधारण की क्या दर है। इस पूरी प्रक्रिया का खर्च कितना होगा। क्लीनिक में कितने सफल गर्भधारण हुए हैं और कितने जुड़वा और कितने मल्टीपल बर्थ हैं।
- स्पर्म डोनेशन से पहले इजैक्यूलेशन ना करें - आईवीएफ की प्रक्रिया में स्पर्म डोनेट करने से तीन-चार दिन पहले मेल पार्टनर को सेक्सुअल इंटरकोर्स या मास्टरबेशन के जरिए इजैक्यूलेशन करने से बचना चाहिए। साथ ही साथ आईवीएफ की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही मेल पार्टनर को अपने सीमन की जांच करवा लेनी चाहिए क्योंकि स्पर्म की क्वालिटी भी समय के साथ बदलती रहती हैं।
- मोटापे से बचे रहें, हेल्दी वजन बनाए रखें - इनफर्टिलिटी से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए महिला और पुरुष दोनों का हेल्दी वजन बनाए रखना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आप मोटापे का शिकार हैं तो गर्भधारण का समय दो गुना बढ़ जाता है। जो महिलाएं मोटापे का शिकार होती हैं उन्हें कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं।
- ऐक्युपंक्चर थेरेपी अपनाएं - जो महिलाएं आईवीएफ प्रक्रिया करवा रही हैं वह अगर एक्यूपंक्चर थेरेपी अपनाती हैं खासकर भ्रूण ट्रांसफर वाले दिन तो उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि एक्यूपंक्चर यूट्रस और ओवरीज में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है। एक्यूपंक्चर थेरेपी करवाने से महिलाओं की प्रेगनेंसी के चांस बढ़ जाते हैं।
- अपनी डाइट में गुड फैट को शामिल करें - अपनी डाइट में मोनोसैचुरेटेड फैट से भरपूर चीजों को शामिल करें इससे आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए प्रेग्नेंट होने का चांस बढ़ जाता है। आईवीएफ प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए हेल्दी डाइट का सेवन करें।
- तनवमुक्त रहें और अच्छी नींद लें - इस बात का ध्यान रखें कि आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान आप कम से कम 8 घंटे की अच्छी नींद जरूर लें। आईवीएफ प्रक्रिया को सफल बनाने और हेल्दी फॉलिकल्स के विकास के लिए नींद जरूरी है। साथ ही साथ तनाव मुक्त रहने की भी कोशिश करें।
3. आईवीएफ़ गर्भावस्था के बाद सुरक्षा एवं सावधानियां
कई तकनीकों द्वारा इलाज कराने के बाद, कई बार निराश होने के बाद संतानहीन दंपत्ति आखिरकार आईवीएफ कराने का फैसला लेते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया से गुजर रहे हर दंपत्ति को गर्भावस्था के बाद कुछ बेहद जरूरी सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है। चलिए इन सावधानियों के बारे में जानते हैं:-
- संभोग से बचें - गर्भावस्था के बाद पति-पत्नी को संभोग से बचना चाहिए। संभोग के कारण महिलाओं में वैजाइनल इंफेक्शन फैलने का खतरा अधिक रहता है जिससे इस प्रक्रिया के सफल होने की उम्मीद बहुत कम हो जाती है।
- खुश और संतुष्ट रहें - आईवीएफ प्रक्रिया के बाद कई डॉक्टरों द्वारा महिलाओं को यह सलाह दी जाती है कि खुश और चिंतामुक्त रहें। आपकी संतुष्टि ही इस प्रक्रिया की सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- भारी सामान उठाने से बचें - इस प्रक्रिया के चलते भारी सामान उठाना भी महिला के शरीर और भ्रूण दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। भारी सामान उठाने से पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है जिससे आईवीएफ प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है। इसलिए आईवीएफ गर्भावस्था के बाद सुरक्षा एवं सावधानियां बरतनी चाहिए।
- स्नान न करें - डॉक्टरों के बताए अनुसार इस प्रक्रिया के शुरूआती दो हफ्ते तक महिलाओं को स्नान नहीं करना चाहिए। इससे गर्भावस्था पर असर पड़ सकता है। यदि महिलाएं नहाएंगी तो महिला के अंदर प्रत्यारोपित अंडा अपने स्थान से हट सकता है।
- प्रोजेस्ट्रोन लें - गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए, इस प्रक्रिया के बाद यह बहुत जरूरी है कि महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की मात्रा पर्याप्त हो। प्रोजेस्ट्रोन की मात्रा को पर्याप्त रखने के लिए आईवीएफ की प्रक्रिया के बाद उन्हें कृत्रिम प्रोजेस्ट्रोन दिए जाते हैं।
यदि आप भी आईवीएफ तकनीक से माता पिता बनना चाहते हैं तो आपके लिए प्राइम आईवीएफ एक अच्छा विकल्प है। यह फर्टिलिटी के सर्वश्रेष्ठ क्लिनिक में से एक है। साथ ही यहां आधुनिक उपकरणों से जांच की जाती हैं। प्राइम आईवीएफ ने आईवीएफ के कई सफल ट्रीटमेंट किए हैं। जिनसे कई लोगों को माता-पिता बनने का सुख मिला है। यहां के डॉक्टर सभी तरह के ट्रीटमेंट करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। साथ ही प्राइम आईवीएफ में आपकी जानकारी पूरी तरह से गुप्त रखी जाती है और यहां आईवीएफ गर्भावस्था लक्षण का भी ध्यान रखा जाता है। यदि आप आईवीएफ ट्रीटमेंट कराना चाहते है, तो आप प्राइम आईवीएफ को चुन सकते हैं।
4. निष्कर्ष
यदि आप भी आईवीएफ तकनीक से माता पिता बनना चाहते हैं तो आपके लिए प्राइम आईवीएफ एक अच्छा विकल्प है। यह फर्टिलिटी के सर्वश्रेष्ठ क्लिनिक में से एक है। साथ ही यहां आधुनिक उपकरणों से जांच की जाती हैं। प्राइम आईवीएफ ने आईवीएफ के कई सफल ट्रीटमेंट किए हैं। जिनसे कई लोगों को माता-पिता बनने का सुख मिला है। यहां के डॉक्टर सभी तरह के ट्रीटमेंट करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। साथ ही प्राइम आईवीएफ में आपकी जानकारी पूरी तरह से गुप्त रखी जाती है और यहां आईवीएफ गर्भावस्था लक्षण का भी ध्यान रखा जाता है। यदि आप आईवीएफ ट्रीटमेंट कराना चाहते है, तो आप प्राइम आईवीएफ को चुन सकते हैं।
FAQs
भारत में IVF का औसत खर्च आईवीएफ केंद्र के स्थान और भारत में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ डॉक्टरों की विशेषज्ञता सहित विभिन्न कारकों के आधार पर एक केंद्र से दूसरे केंद्र में भिन्न होती है। भारत में एक साइकिल के लिए आईवीएफ उपचार की औसत लागत 95,000 से 1,30,000 के बीच में है।
भारत में प्रतिष्ठित आईवीएफ क्लिनिकों में इस्तेमाल किए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ डॉक्टरों और उन्नत तकनीक की योग्यता और अनुभव के आधार पर, आईवीएफ की सफलता दर प्रत्येक इनफर्टिलिटी के मामले में विशिष्टता के आधार पर 50% से 82% के बीच है।
आईवीएफ उपचार की सफलता दर अन्य इनफर्टिलिटी उपचारों की तुलना में अधिक है लेकिन ऐसे कई कारक हैं जिन पर आईवीएफ सफलता दर निर्भर करती है। जो दंपत्ति 35 वर्ष से कम उम्र में माता-पिता बनने के लिए इच्छुक हैं उनके लिए आईवीएफ सफलता दर लगभग 40% है। पहली आईवीएफ प्रयास पर गर्भधारण करने की संभावना लगभग 30% है।